श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम् | Shri Rudrashtakam Stotram
श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्

श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम् | Shri Rudrashtakam Stotram

रुद्राष्टकम एक संस्कृत ध्यान मंत्र है जो रुद्र का आह्वान करता है, जो शिव का एक प्रतीक है। इसकी रचना हिंदू भक्ति कवि तुलसीदास ने की थी। तुलसीदास ने इस मंत्र की रचना पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में उत्तर प्रदेश में की थी और महान कृति रामचरितमानस सहित कई अन्य साहित्यिक कृतियों की रचना की। जिसके पाठ मात्र से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, और भक्त जन मनवांछित फल की प्राप्ति करते हैं। यह स्तोत्र लयबद्ध होने से गायन में सुलभ और सरल है। नियमित पाठ करने से यह शीघ्र ही कंठस्थ हो जाता है।

श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्
श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्

॥ अथ रुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं,
विभुंव्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं।
निजंनिर्गुणंनिर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाशमाकाशवासंभजेऽहं ॥१॥

निराकार ॐकारमूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गौतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं,
गुणागार संसार पारं नतोऽहं ॥२॥

तुषाराद्रिसंकाश गौरं गभीरं,
मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरं।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनि चारुगंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥३॥

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं,
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥४॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानुकोटि प्रकाशं।
त्रयः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं ॥५॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदासद्चिदानन्द दाता पुरारि।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ॥६॥

नवावत् उमानाथपादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणां।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं,
प्रसीद प्रभो सर्व भूताधिवासं ॥७॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजां,
नतोऽहं सदासर्वदा शम्भु तुभ्यं।
जराजन्मदुःखौऽघतातप्यमानं,
प्रभो पाहि आपन् नमामीश शम्भो ॥८॥

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति॥

॥ श्री रुद्राष्टकम् सम्पूर्णम् ॥

श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्
श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्

 

श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम् – हिंदी अनुवाद –

हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं। 1

निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत) वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नमस्कार करता हूं। 2

जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर है, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर नदी गंगाजी विराजमान है, जिनके ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित है। 3

 जिनके कानों में कुण्डल शोभा पा रहे हैं. सुन्दर भृकुटी और विशाल नेत्र है, जो प्रसन्न मुख, नीलकण्ठ और दयालु है। सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूं। 4

प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं भजता हूं। 5

कलाओं से परे, कल्याण स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालनेवाले हे प्रभो, प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए। 6

जब तक मनुष्य श्रीपार्वतीजी के पति के चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इहलोक में, न ही परलोक में सुख-शान्ति मिलती है और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न होइए। 7

मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभो! बुढ़ापा तथा जन्म के दु:ख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दु:खों से रक्षा कीजिए। हे शम्भो, मैं आपको नमस्कार करता हूं। 8

जो मनुष्य इस स्तोत्र को भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उन पर शम्भु विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।

श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्
श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्

श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम् पाठ के फायदे 

  • शास्त्रों के मुताबिक, शत्रुओं से परेशान व्यक्ति को इस स्तोत्र का पाठ करने से मुक्ति मिलती है.
  • भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के लिए भी इस स्तोत्र का पाठ किया था.
  • इस स्तोत्र का पाठ करने से बड़े से बड़े शत्रुओं पर भी विजय मिलती है.
  • यह स्तोत्र शिव को प्रसन्न करने में तेज़ी से फल देता है.
  • यह स्तोत्र कम समय में आसानी से याद हो जाता है.
  • जो लोग भक्तिपूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करते हैं, उन पर भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं.
श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्
श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्रम्

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