आज हम इस लेख के माध्यम से संकल्प मंत्र के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे कि संकल्प मंत्र क्या है उसका जाप कैसे करना है और उसके फायदे क्या है I अगर आप इस विषय को विस्तार से जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को इसकी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

Contents hide
5 ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : तमेऽब्दे प्लवंग नाम संवत्सरे दक्षिणायने ……. ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे ……. मासे …… पक्षे …….. तिथौ ……. वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री ……….. (जिस देवी- देवता की पूजा कर रहे हैं उनका नाम ले) पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये।
संकल्प मंत्र :-
संकल्प मंत्र
संकल्प मंत्र

हिंदू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार किसी भी प्रकार की पूजा पाठ करने से पहले संकल्प मंत्र का जाप किया जाना अत्यंत आवश्यक होता है जिस पूजा से पहले संकल्प मंत्र का जाप नहीं किया जाता है वह पूजा अधूरी मानी जाती है. साथ ही उस पूजा का कोई भी फल प्राप्त नहीं होता है

हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी पूजा पाठ को शुरू करने से पहले संकल्प लेना अनिवार्य है यदि आप पूजा करने से पहले संकल्प नहीं लेते हैं तो आपकी पूजा का फल इंद्र देवता को प्राप्त होता है. इसीलिए आपको कोई भी पूजा को करने से पहले संकल्प अवश्य लेना चाहिए इतना ही नहीं बल्कि यह भी बताया गया है कि अगर आप प्रतिदिन पूजा पाठ करते हैं तो उसमें भी आपको संकल्प मंत्र का जाप करना आवश्यक है
संकल्प लेने का अर्थ यह होता है कि अपने इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर हम यह संकल्प ले कि हम यह पूजा कार्य विभिन्न इच्छाओं की कामना पूर्ति के लिए कर रहे हैं और इस पूजा को संपूर्ण अवश्य करेंगे.

संकल्प मंत्र
संकल्प मंत्र

अगर आप एक बार पूजा का संकल्प ले लेते हैं तो उस पूजा को पूर्ण करना आवश्यक होता है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपकी संकल्प शक्ति मजबूत हो जाती है और उस व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में साहस प्रदान करती हैं।

संकल्प मंत्र की विधि :-

अगर आप लोग संकल्प लेना चाहते हैं तो आपको संकल्प लेते समय अपने हाथ में पान के पत्ते सुपारी , अक्षत , पुष्प , दक्षिणा और जल को लेकर संकल्प मंत्र को पढ़ना है। लेकिन अगर आप अपने घर पर प्रतिदिन पूजा करते हैं और आपको संस्कृत पढ़ने में परेशानी होती है तो आप ऐसा भी कर सकते हैं कि आप पूजा शुरू करने से पहले अपनी भाषा में अपने मन में संकल्प ले ले कि आप यह पूजा किस कारणवश कर रहे हैं तभी आप अपने मन को एक दिशा दे पाएंगे।

ऐसा प्रचलित है कि भगवान भाव के भूखे होते हैं तो वह भाव सही अर्थ में बनना चाहिए इसीलिए यह भाव बनाने में संकल्प मंत्र हमारी मदद करता है। संकल्प हमारे मन की दृढ़ इच्छा शक्ति बढ़ाने में हमारी मदद करता है अगर हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो इस संकल्प मंत्र का जाप अवश्य करें

संकल्प मंत्र
संकल्प मंत्र

पूजा के समय आपको जिस स्थान पर आप पूजा कर रहे हैं उस शहर या फिर गांव का नाम लेना है।
जिस व्यक्ति के लिए पूजा हो रही है उसका नाम लेना है और गोत्र भी नाम लेना है।
जिस तिथि में पूजा हो रही है जिस दिन पूजा हो रही है उसका नाम भी लेना है। साथ ही पक्ष एवं संवत्सर का भी नाम लिया जाता है एवं जिस कार्य के लिए यह पूजा हो रही है उसकी जानकारी भी संकल्प लेने में दी जाती है।

अगर आप लोग संकल्प मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए संकल्प लेते समय हाथ में जल और फूल लेना है
वैसे तो पूरी सृष्टि के पंचमहाभूतो जैसे अग्नि , पृथ्वी , आकाश , वायु और जल में से भगवान श्री गणेश का जो जल तत्व में अधिपति हैं के सामने संकल्प लेना है जिससे भगवान श्री गणेश की कृपा से आपका पूजा कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाए।

 

संकल्प का मंत्र :-

दाहिने हाथ में जल, पुष्प, सिक्का तथा अक्षत लेकर संकल्प मंत्र  का उच्चारण करे:

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:,
ॐ अद्य  ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : तमेऽब्दे प्लवंग नाम संवत्सरे दक्षिणायने ……. ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे ……. मासे …… पक्षे …….. तिथौ ……. वासरे  (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री ……….. (जिस देवी- देवता की पूजा कर रहे हैं उनका नाम ले) पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं  यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये। 

अमुक स्थाने – कार्य का स्थान
अमुक संवत्सरे – संवत्सर का नाम
अमुक अयने – उत्तरायन/दक्षिणायन
अमुक ऋतौ – वसंत आदि छह ऋतु हैं
अमुक मासे – 12 मास हैं
अमुक पक्षे – पक्ष का नाम (शुक्ल या कृष्ण पक्ष)
अमुक तिथौ – तिथि का नाम
अमुक वासरे – दिन का नाम
अमुक समये – दिन में कौन सा समय

जैसे ही आप इस संकल्प मंत्र को पूर्ण कर देते हैं उसके बाद आप अपने हाथ में जितनी भी सामग्री लिए हुए हैं वह उसी जगह पर नीचे छोड़ दें। इस संकल्प मंत्र के माध्यम से आप अपनी पूजा-अर्चना को संपूर्ण तरह से पूर्ण कर सकते हैं। हमारे हिंदू धर्म में ऐसा बताया गया है कि किसी भी पूजा को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है तभी वह पूजा संपन्न मानी जाती है.

अन्य शिक्षाप्रद लेख :-

 

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *